शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

जबकि, जानता हूँ...

रात को जब, लेटता हूँ,

तो छत पर तारे दिखते हैं,

और मैं, उन्हें गिनता हूँ।

जबकि, जानता हूँ, गिन नहीं

Shwet

मेरे पेट से...

कभी-कभी, मेरे पेट से,

कुछ आवाज़ें आती हैं।

जब मैंने, किसी एक वक़्त का,

भोजन, नहीं कर पाया होता है। (किन्ही कारणों

Shwet

रोज रात...

रोज रात,

जो सितारे, आसमां पर चमकते हैं,

आ जाते हैं, मेरे कमरे में,

और चमकते हैं, छत से चिपककर,

और मैं, उन्हें टकटकी

Shwet

रोज रात...

रोज रात,

जो सितारे, आसमां पर चमकते हैं,

आ जाते हैं, मेरे कमरे में,

और चमकते हैं, छत से चिपककर,

और मैं, उन्हें टकटकी

Shwet

तलाश

एक भीड़ के संग चल रही थी
अनजाने पथ पर बढ़ रही थी
एक कश्मकश में पड़ी थी,

मेरी मंजिल की जाने राह कहाँ थी

आशा की

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गुरुवार, 29 नवंबर 2012

बीवी और साली मे अन्तर

बीवी और साली में क्या क्या अंतर होता है जरा गौर फ़रमाये ः--
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बीवी तो बस ऐंवें ही - साली है सब से

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बीवी और साली मे अन्तर

बीवी और साली में क्या क्या अंतर होता है जरा गौर फ़रमाये ः--


बीवी तो बस ऐंवें ही - साली है सब से न्यारी
बीवी जीवन में

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बीवी और साली मे अन्तर

बीवी और साली में क्या क्या अंतर होता है आरा गौर फ़रमाये ः--


बीवी तो बस ऐंवें ही - साली है सब से न्यारी
बीवी जीवन में

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यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, ऐसे ही !!

यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, ऐसे ही !!

शाम हुई,दीये जले,तारे भी धीरे धीरे

परवाने निकले, रोशनी के दीवाने सारे

हुस्न का

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नर नहीं, नारी हूँ मै ....

फूलों भरी क्यारी हूँ मै

नर नहीं, नारी हूँ मै ....

 

आकाश के इन्द्रधनुष का,

है समाया मुझमे सात रंग

हर एक कली

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जलता रहा - हरिहर झा

खून उबला क्रोध में जलता रहा
भींच मुठ्ठी हाथ को मलता रहा

मैं गगनचुम्बी इमारत हो रहा
नभ के साये में सरकता जा

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जलता रहा - हरिहर झा

खून उबला क्रोध में जलता रहा
भींच मुठ्ठी हाथ को मलता रहा

मैं गगनचुम्बी इमारत हो रहा
नभ के साये में सरकता जा

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जलता रहा - हरिहर झा

खून उबला क्रोध में जलता रहा
भींच मुठ्ठी हाथ को मलता रहा

मैं गगनचुम्बी इमारत हो रहा
नभ के साये में सरकता जा रहा

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बुधवार, 28 नवंबर 2012

Jaanlo Ek Baar Aaina Dekhkar

Baste Hai kuchh Armaan Is Dil Me Bhi, Jo Reh Jaate Hain Dil Me Hi Tumhe Dekhkar.

Hote Hai Kya Kya Zulm Hum Par, Khud Hi Jaanlo Ek Baar Aaina

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Tuzse Mulaqat Ka Afsana

Saaf Lafjo Me Likhta Hoon Tuzse Mulaqat Ka Afsana Kuchh Is Tarah Se:

Kuchh Gustakhi Lafjo Ne Ki Kuchh Nazro Ne, Aur Dil Ko Thame Baithe Rahe Hum.

Kuchh Waqt Gujara Isi Tarah Aur Apni Muskan Se Ek Aur Jakhm Dekar Chale Gaye

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नशे की हालत मे, दिल की बात :-

नशे की हालत मे, दिल की बात :-

साकी मयखाने मे,छलकाती शबाब प्यालो मे,
पीलाये, हो-ता नशा, मजा है नशे मे, पीने मे ।

नशा

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यों ही..कुछ.बात या बेबात...(बेरुखी की)!!!

यों ही..कुछ.बात या बेबात...(बेरुखी की)!!!

अफ़साना यह रहता था,हर तरफ़ प्यार का मंज़र दिखा ;
फूलों से लदी हर शाख मे,

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यों ही..कुछ... बात या बेबात.......(विडंबना की)!!!

यों ही..कुछ... बात या बेबात.......(विडंबना की)!!!

कई कई शाम उनके नाम हम ने,कई कई पैगाम लिखे थे,
कसमे ,वादे,इज़हार किया था उम्र

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तुम और मैं (प्रेमी )

तुम और मैं (प्रेमी )

तुम
तुम्हारी यादें
प्यार के वादें
लम्बी लम्बी बातें
और
मैं या तुम
अब जब साथ होते
बढ़ती उम्र

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यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, मिलन की !!

यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, मिलन की !!

मिलन की खुमार,चड़े हुवे नशे की सुमार,
नशे की सूरत उतरे पर मिलन की खुमार ?

एतवार

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यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, ऐसे ही !!

यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, ऐसे ही !!
wwwwwwwwwwwwwwwww
शाम हुई,दीये जले,तारे भी धीरे धीरे

परवाने निकले, रोशनी के दीवाने सारे

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sapne apne

poster kavita by k ravindra

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परी हूँ मै

जस्बातों की गठरी सी बंधी
हर रिश्ते की आग्हाज हूँ मै
कुछ और नहीं बस एक लफ्ज है यारों
इस दुनिया का अंजाम हूँ मै
आसमा

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ग़ज़ल

ग़ज़ल...
जीवन की रहगुज़र पे कितनी दूर चला आया हूँ
बस्तियां कितनी, शहर , कितने छोड़ आया हूँ,1
ज़मीं से

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जुदाई

तुझसे

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Palken (पलके

भोर सी पलके, उजोर सी पलके

शबनम सी जगे, चितचोर

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मंगलवार, 27 नवंबर 2012

Judai

तुझसे

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वनडे क्रिकेट और बच्चे

पदयात्रियों, मोटर-गाड़ियों से बेपरवाह
बीच सड़क पर
क्रिकेट खेलते बच्चे
डरा नहीं करते
पिता-चाचा या दादा की

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अगर चाय में पत्ती नहीं तो

अगर चाय में पत्ती नहीं तो

पीने का क्या मज़ा और
साथ में गाईड नहीं तो
घूमने का क्या मज़ा ।

चप्पल है छोटी तो
पैर में

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शाम होते ही

शाम होते ही

शोर यादों का

उसकी ...

घुस आता है

घर में मेरे

और सन्नाटा

तन्हाईओं का

और ज्यादा

गहरा जाता

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Innocent Shayaries by 12 Year old RAJU GUIDE.

http://www.youtube.com/watch?v=9h19PFNbqlc&feature=youtu.be


अगर चाय में पत्ती नहीं तो
पीने का क्या मज़ा और
साथ में गाईड नहीं तो
घूमने का क्या मज़ा

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नारी शक्ति

नारी शक्ति
रोशनी की कीमत पहचान ली
परवाह नही अब किसी रिश्ते की
आदत नही शिकायत की
उम्मीद है सफलता की
नन्हा सपना

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ये आरक्षण

ये आरक्षण

दब जायेंगा जन साधारण,
खो जायेंगा जो है विलक्षण,
जब आयेगा ये आरक्षण,
ये आरक्षण ये आरक्षण |
********
अब न मांगे

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ये आरक्षण

ये आरक्षण

दब जायेंगा जन साधारण,
खो जायेंगा जो है विलक्षण,
जब आयेगा ये आरक्षण,
ये आरक्षण ये आरक्षण |
********
अब न मांगे

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मोहब्बत

माना मोहब्बत करने का अपना एक अंदाज़ होता है
लोग करतें है मोहब्बत जब सारा जहाँ सोता है
पर एक मोहब्बत देखी हमने ऐसी

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सोमवार, 26 नवंबर 2012

तेरी आसमां तक इमारत ये ऊँची

तेरी आसमां तक इमारत ये ऊँची
कभी मर के देखो जमीं भी है कितनी

teri aasmaa'n tak imaarat ye oo'nchi
kabhi mar ke dekho zami'n bhi hai kitni

تیری آسماں تک امارت یہ اونچی
کبھی

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तेरी आसमां तक इमारत ये ऊँची
कभी मर के देखो जमीं भी है कितनी

teri aasmaa'n tak imaarat ye oo'nchi
kabhi mar ke dekho zami'n bhi hai kitni

تیری آسماں تک امارت یہ اونچی
کبھی

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ek sher

तेरी आसमां तक इमारत ये ऊँची

कभी मर के देखो जमीं भी है कितनी

teri aasmaa'n tak imaarat ye oo'nchi

kabhi mar ke dekho zami'n bhi hai kitni

تیری آسماں تک امارت یہ

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जब तुम न थे चाहत तुम्हारी थी

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जब तुम न थे चाहत तुम्हारी थी

जब तुम न थे चाहत तुम्हारी थी
हर एक सिम्त आहट तुम्हारी थी

चोंक तो गया था दरे दिल पे उसे देख कर
बदलते बदलते बदली आदत

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लीला सरकारी बाबू की

 


बडी हि अद्भुत लीला है, ये सरकारी बाबू की.

बिना दिये चलती नही, कलम सरकारी बाबू की.

मुहँ मे पान हाथ मे बीडी पहचान

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Tera Khayal

Maine Kai Dafa Khud Ko Bevajah Muskarate Hue Paya.
Vajah Puchhi Jab In Labo Se To Bas Tera Khayal

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रविवार, 25 नवंबर 2012

"सेदोका"..एक नया प्रयास-(भाग-तीन)

"सेदोका"..एक नया प्रयास-(भाग-तीन)
***********************
सो-सो लफ्ज
लुटाया बेसुमार
एक लफ्ज काफी था
दिल की बात
अरमान दिल के

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शाम होते ही

शाम होते ही

शोर यादों का

उसकी ...

घुस आता है

घर में मेरे

और सन्नाटा

तन्हाईओं का

और ज्यादा

गहरा जाता

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"सेदोका"..एक नया प्रयास !!!(भाग -दो )

बचपन से कालि सी रात
अकेला न्यारा न्यारा अमबस्या की बात
नहीं किसी का प्यारा मिलन की आश;
सह के

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"सेदोका"..एक नया प्रयास !!!(भाग -दो )

बचपन से कालि सी रात
अकेला न्यारा न्यारा अमबस्या की बात
नहीं किसी का प्यारा मिलन की आश;
सह के

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"सेदोका"..एक नया प्रयास !!!(भाग -दो )

बचपन से कालि सी रात
अकेला न्यारा न्यारा अमबस्या की बात
नहीं किसी का प्यारा मिलन की आश;
सह के

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"सेदोका"..एक नया प्रयास !!!(भाग -एक )

मन उदास
सिर्फ है एहसास
भूली बिसरी यादें
आशांये टूटी
बीत गई जवानी
जिंदगी की कहानी
******************
कल गुजरा
हर एक कल

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अजन्ता के शिल्प-

अजन्ता के शिल्प-

पाषाण शिला मे सजीव शिल्प अत्यन्त निराला;
अजन्ता के मूर्त-रूप मे प्रकट नारी-सौन्दर्य कला,
शिल्पी

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यौवन ज्वाला

यौवन ज्वाला

लहर अंग-अंग मे,
नव यौवन की,
अठखेली करती लता-सी;
निज तन,निज मन भ्रमाय,
खिले-खिले फूल से,
वसन्त की

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समस्या मे है समाधान

समस्या मे है समाधान

गतिशीलता है जीवन का आभास !

समस्या के अस्तित्व के साथ बास;

चलनेवाले से ताप का होत विकास,

ताप

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उल्लू बनाओ, लक्ष्मी पाओ

उल्लू बनाओ, लक्ष्मी पाओ

उल्लू चड़ लक्ष्मी जी आये !
तुष्ट होती उल्लू जो बनाये ,
उल्लू बनाय धनवान हो जाये,
लक्ष्मी जी

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पिताजी ने कहा

पिताजी ने कहा
हमेशा सच बोलना,
!!?!!
झूट को सच बनाकर;
अब झूट सच ही लगता !
कोरा सच हज़म नहीं होता,
और मैं सच ही बोलता हूँ

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वा रे सरकार !!

वा रे सरकार !!

गज़ब लोगों की, अज़ब सरकार;
आमदनी कम,महंगाई की मार;
सस्ते होगें तब उनके सिलेंडर !
सालाना आमदनी हो लाख के

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खोया हुवा दिल

खोया हुवा दिल

आज अचानक बहुत दिन बाद,
मुलाकात हो गई;
मेरे खोये हुवे दिल से,
काफ़ी दिन से गुमशुदा था ।

कितनी

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बोलो जब सोचकर बोलो !!

बोलो जब सोचकर बोलो !!

सुनो भाई साधो,कहते गुणी जन, हमको समझाय;
बोलो वचन मधुर ऐसे; जो मन को शीतल सुहाय,
कभी ना बोलो कड़वे

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आदमी बेवकूफ है ?

कुछ लोगों का यह मानना है की दुनिया का हर आदमी बेवकूफ है, जी हाँ इस से बात से में भी इतेफाक
रखता हूँ और मैं भी कभी कभी

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शनिवार, 24 नवंबर 2012

शाम होते ही

शोर यादों का

उसकी ...

घुस आता है

घर में मेरे

और सन्नाटा

तन्हाईओं का

और ज्यादा

गहरा जाता

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GEET-GAZAL KE SAYE MEN.

M.K. ARTS PVT.LTD.

AHMADABAD-GUJARAT.

PRESENTS

" GEET-GAZAL KE SAYE MEN." (Recorded Year-1990.)

SONGS WRITER-COMPOSER-MUSIC DIRECTOR -MARKAND DAVE.

CO-SINGER- SUSHRI PARUL VYAS.

MUSIC-SHRI PRASUN CHUDHARI-MARKAND DAVE.

M.K.AUDIO-VIDEO RECORDING STUDIO.

GEET-GAZAL KE SAYE

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kavita

मजीले हे ,रस्ते हे, जज्बात हे,

पर ह् मे

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शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

कार्यवाही

कहते हैं कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है लेकिन आजकल क्या सत्ता पक्ष और बिपक्ष अपनी दुकानदारी चमकाने के लिए संसद की

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लीला सरकारी बाबू की

 


बडी हि अद्भुत लीला है, ये सरकारी बाबू की.

बिना दिये चलती नही, कलम सरकारी बाबू की.

मुहँ मे पान हाथ मे बीडी पहचान

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लीला सरकारी बाबू की


बडी हि अद्भुत लीला है, ये सरकारी बाबू की.

बिना दिये चलती नही, कलम सरकारी बाबू की.

मुहँ मे पान

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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

आईना भी चेहरा छुपाने लगा है....

कुर्बत से मेरी कतराने लगा है ,
जो पास था दूर जाने लगा है ,

सूरज से कहो अब न निकले ,
अँधेरा हमें रास आने लगा है ,

क्या

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रुसवाई ने अब देख लिया है मेरा घर भी....

इस पेड़ में एक बार तो आ जाये समर भी ,
जो आग इधर है कभी लग जाय उधर भी ,

कुछ मेरी अना भी मुझे झुकने नहीं देती ,
कुछ इसकी

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बुधवार, 21 नवंबर 2012

प्रेम

चूक जाने के बाद भी

बचा रहता है कजरौटे में

अंजन

जैसे

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प्रेम

चूक जाने के बाद भी

बचा रहता है कजरौटे में

अंजन

जैसे

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रात ढलती रही चाँद जलता रहा....

हया का रंग हुस्न पे चढ़ता रहा ,
फासला दरमियाँ और बढ़ता रहा ,

उनके चेहरे से नज़रें न हट सकीं ,
रात ढलती रही चाँद जलता रहा

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हमें मिटाना आसान नहीं है....

दुश्मनों तुम्हें गुमान नहीं है ,
कमज़ोर अपना ईमान नहीं है ,

खुदा है साथ खुदा की कसम ,
हमें मिटाना आसान नहीं है

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याद मुझे वो........

अब भी मुझ पे मरता होगा ,
याद मुझे वो ... करता होगा ,

जब हाथ दुआ में उठते होंगे ,
दामन अश्क़ों से भरता होगा

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ऐसा लगा के क़यामत हो गई....

दिल तोड़ने की हसरत हो गई ,
उसको मुझसे मुहब्बत हो गई ,

एक बार जो उठीं पलकें उसकी ,
ऐसा लगा के क़यामत हो गई

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ये कलम भी है तलवार भी है....

हौसले की बुलंद दिवार भी है ,
जंग के वास्ते हथियार भी है ,

हमें पता है मुफीद -ऐ- मसरफ ,
ये कलम भी है तलवार भी है

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न शम्मा बची न परवाना बचा....

न हकीक़त बची न फसाना बचा ,
न हसीना बची न दीवाना बचा ,

कुछ ऐसी आग लगी महफ़िल में ,
न शम्मा बची न परवाना बचा

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मोक्ष

मोक्ष
छोटे मोटे पाप, भ्रष्टाचार, घोटाले,
चोरी चकारी पर,
गंगा में डुबकी लगा आइये,
जीवन स्वच्छ हो

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कब होंगे आजाद हम

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कब होंगे आजाद हम

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कब होंगे आजाद हम

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शादी के बाद

शादी के समय क्या था और अब शादी दस साल बाद क्या हो गया हूँ..

शरमा कर अब मुस्काने लगा हूँ, कभी था मैं बड़बोला
शबनम का

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मंगलवार, 20 नवंबर 2012

शादी के बाद

शादी के समय क्या था और अब शादी दस साल बाद क्या हो गया हूँ..

शरमा कर अब मुस्काने लगा हूँ, कभी था मैं बड़बोला
शबनम का

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पलको पे दर्द जिन्दगी का ढो रहा हू मै.....

पलको पे दर्द जिन्दगी का ढो रहा हू मै
और प्यार बार बार दिल मे बो रहा हू मै
वादा किया था उसने वो घर आएगे जरूर
उस दिन से

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सोमवार, 19 नवंबर 2012

मुक्ति (सेदोका)

१.
स्कूली दिन,
उभरता व्यक्‍तित्व,
उठती आकांक्षायें।
निर्दोष मन,
कल्पनाशील दिल,
खुला मस्तिष्क मेरा।

२.
नजरें

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मुक्ति (सेदोका)

१.
स्कूली दिन,
उभरता व्यक्‍तित्व,
उठती आकांक्षायें।
निर्दोष मन,
कल्पनाशील दिल,
खुला मस्तिष्क मेरा।

२.
नजरें

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सबसे खतरनाक

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुठ्ठी सबसे खतरनाक नहीं

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुंडलियाँ

अंतर्मन को बेधती , शब्दों की तलवार |

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सबसे खतरनाक

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुठ्ठी सबसे खतरनाक नहीं

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सबसे खतरनाक - अवतार सिंह पाश

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुठ्ठी सबसे खतरनाक नहीं

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रविवार, 18 नवंबर 2012

तुम

तुम

साँवला रंग,
चमक चेहरे की
लुभाती मुझे।

आँखें खोजतीं
तुम्हें हर जगह,
हर कदम।

पवन चाल
से जब तुम आतीं,
नाचता

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ऋचा (हाइकू)

सुंदर मन।
कपोतों पर भेजे
शांति की पाती।

बाँचे पाती को
धोये मन निर्मल
करे उससे।

लिखे न उसे
भोजपत्र पर या
कागज

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शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया.....

रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया.
फूलो के बिस्तरो पे भी सोया नही गया.
जब प्रीत के वो गीत टूटकर बिखर गये.
फिर हमसे कोई

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रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया.....

रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया.
फूलो के बिस्तरो पे भी सोया नही गया.
जब प्रीत के वो गीत टूटकर बिखर गये.
फिर हमसे कोई

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रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया.....

रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया.
फूलो के बिस्तरो पे भी सोया नही गया.
जब प्रीत के वो गीत टूटकर बिखर गये.
फिर हमसे कोई

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जब जब भी दीवाली आये.......

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यादों में जीना( सेदोका)

16.

तेज़ तूफ़ान

है ढूँढती आसरा

वो नन्हीं-सी गौरैया

बचाए कैसे

इस मुश्किल घड़ी

अपने नन्हें प्राण।

17.

पुराने

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सुनहरे सपने ( सेदोका)

1.

पल भर में

टूटकर बिखरे

सुनहरे सपने

किससे कहूँ

घायल हुआ मन

रूठे सभी अपने।

2.

हिरण बन

न जाने कहाँ गई

वो

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गुरुवार, 15 नवंबर 2012

फूलों -सा खिलना है (सेदोका 1-16)

1

छुपा है चाँद

आँचल में घटा के

हुई व्याकुल रात

कहे किससे

अब दिल की बात

गिरे ओस के आँसू ।

2

उमग पड़ी,

खुशबू की

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अलसाई चाँदनी(सेदोका 16-31)

16

झील का तट

बिखरी हो ज्यों लट

मचलती उर्मियाँ

पुरवा बही

बेसुध हो सो गई

अलसाई चाँदनी

17

तोड़ती मौन

घास में

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यादों में जीना( सेदोका)

16.

तेज़ तूफ़ान

है ढूँढती आसरा

वो नन्हीं-सी गौरैया

बचाए कैसे

इस मुश्किल घड़ी

अपने नन्हें प्राण।

17.

पुराने दिन

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सुनहरे सपने ( सेदोका)

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1.

पल भर

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दीपावली के दोहे

1

ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय

अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय ।

2

आस्थाओं के तेल में, नेह-वर्तिका

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दीपावली के दोहे

1

ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय

अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय ।

2

आस्थाओं के तेल में, नेह-वर्तिका

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दीपावली के दोहे

1

ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय

अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय ।

2

आस्थाओं के तेल में, नेह-वर्तिका

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ग्रंथालयों में महाकवि

k ravindra ki painting
कवि बतियाता है
सिर्फ मित्र-कवि से
चंद कूट संकेतों के ज़रिए
जिस तरह
एक किसान, दूसरे किसान से
एक महिला,

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शकीला की छठवीं बेटी

 

k ravindra ki painting 2012
‘लेबर-रूम’ के बाहर
खिन्न हैं आयाएं
नर्सें ख़ामोश
आज की ‘बोहनी’ बेकार हुई
‘ओ गॉड, ये ठीक नहीं

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अब्बा

k ravindra ke chitrankan
कौन कहता है
वह टूट गए हैं
ज़रा देखिए ध्यान से
बढ़ती उम्र के कारण
वह कुछ झुके ज़रूर हैं
झुकता है जैसे

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वनडे क्रिकेट और बच्चे one day cricket aur bachche

पदयात्रियों, मोटर-गाड़ियों से बेपरवाह
बीच सड़क पर
क्रिकेट खेलते बच्चे
डरा नहीं करते
पिता-चाचा या दादा की

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वहाँ मुझे पाओगे-(चोका)

पुकारोगे जो


 

मैं ठहर जाऊँगा

तुम्हें छोड़ मैं

भला कहाँ जाऊँगा

तुम्हारे लिए

पलक -पाँवड़े मैं

बिछाता

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बिछोह -घड़ी (चोका)

बिछोह -घड़ी

 

सँजोती जाऊँ आँसू

मन भीतर

भरी मन -गागर।

प्रतीक्षारत

निहारती हूँ पथ

सँभालूँ कैसे

उमड़ता

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तुम्हारी याद( हाइकु)

1

दूर नभ में

चुप तारा अकेला

खोजे मीत को ।

2

छाई उदासी

मन-मरुभूमि में

अँखियाँ प्यासी ।

3

बाट है सूनी

नहीं आया

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यादों के हाइकु

1

दूर है पथ

थककर हैं सोए

यादों के पाखी ।

2

पागल हवा

उड़ाकर ले आई

यादों के खत।

3

मुड़ा-सा पन्ना

कह गया

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हाइकु ( पर्यावरण)

1

इत्र नहाई

सोने से लदी फदी

खुश थी ज़मीं ।

2

नर्म औ सौंधी

हवाओं की पिटारी

खोलती चली ।

3

घोलता कौन

पिटारी

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दीपावली के दोहे

दीपावली के दोहे

1

ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय

अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय ।

2

आस्थाओं के तेल में,

पूरा पढ़े ...

दीपावली के दोहे

दीपावली के दोहे

1

ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय

अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय ।

2

आस्थाओं के तेल में,

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बुधवार, 14 नवंबर 2012

हाइकु

1

क्षय -पीड़ित

हुआ नील गगन

साँसें उखड़ीं ।

2

तन झुलसा

घायल सीने का भी

छेद बढ़ा है ।

3

कड़ुवा धुँआ

लीलता

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दोहे

दोहे

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1

कुटिया रोई रात भर , ले भूख और प्यास ।

महल बेहया हो गया , करता है परिहास ।

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दोहे

दोहे

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1

कुटिया रोई रात भर , ले भूख और प्यास ।

महल बेहया हो गया , करता है परिहास ।

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तेरा था कुछ और न मेरा था

तेरा था कुछ और न मेरा था
दुनिया का बाज़ार लगा था


मेरे घर में आग लगी जब
तेरा घर भी साथ जला था


अपना हो या हो वो

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मंगलवार, 13 नवंबर 2012

हम नहीं पीते यों ही

हम नहीं पीते यों ही .....!!!?!!!

मुझे शक की निगाहों से ना देखो,मैंने पीना छोड़ दिया,

यों ही आँखें लाल हो गई ज़ालिम, तुम ने

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पेड़

पेड़ सिर्फ

पेड़ नहीं होते
वे होते है घर के
पते की तरह

उन दिनों जब
गांव में नहीं हुआ करते थे
बिजली दतर, डाकघर
तब

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सांझ

सारा दिन
मुंहलगी चिडि़यों को खदेड़ने के बाद
लौटते होंगे पिता खेत से नंगे पांव
गांव में पसरी होगी
सांझ

पकती होगी

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुंडलियाँ

अंतर्मन को बेधती , शब्दों की तलवार .

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सबूत

कर रहा हूं इकट्ठा

वो सारे सबूत

वो सारे आंकडे

जो सरासर झूटे हैं

और बे-बुनियाद हैं

जिसे बडी खूबसूरती से

तुमने

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जुनून

होना चाहिए जुनून

तभी मिल सकता है सुकून

वरना

किसे फुर्सत है

किसी का नाम ले

तुम्हारा जुनून ही

तुम्हारी

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गणेश जी वंदना

एक गणेश दूजो न

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सोमवार, 12 नवंबर 2012

saboot /सबूत

कर

रहा हूं इकट्ठा

वो सारे सबूत

वो सारे आंकडे

जो सरासर झूटे हैं

और जिसे

बडी खूबसूरती से

तुमने सच का जामा

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सबूत : anwar suhail

कर रहा हूं इकट्ठा

वो सारे सबूत

वो सारे आंकडे

जो सरासर झूटे हैं

और बे-बुनियाद हैं

जिसे बडी खूबसूरती से

तुमने

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junoon जुनून

होना चाहिए जुनून

तभी मिल सकता है सुकून

वरना

किसे फुर्सत है

किसी का नाम ले

तुम्हारा जुनून ही

तुम्हारी

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रविवार, 11 नवंबर 2012

त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!

त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!

हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम इतराव
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव
.................................
आईना

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त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!

त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!

हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम इतराव
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव
.................................
आईना

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त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!

हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम इतराव
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव
.................................
आईना

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हम नहीं पीते यों ही .....!!!?!!!

हम नहीं पीते यों ही .....!!!?!!!

मुझे शक की निगाहों से ना देखो,मैंने पीना छोड़ दिया,

यों ही आँखें लाल हो गई ज़ालिम, तुम ने जो

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शनिवार, 10 नवंबर 2012

तक्षकों के दंस

 

आज पग -पग पर

खडा है

कंस /

नखों में भर

तक्षकों के

दंस /

त्रस्त जीवन

गरलमय

परिवेश ,

चतुर्दिक

संत्रास

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दीपावली

कलयुग का अंत होने में
समय अभी शेष है
कन्या, मकर, धनु
मीन, हो या तुला
सभी राशियों का खत्म होगा सिलसिला
सोचती हूँ अगर

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुंडलियाँ

अंतर्मन को बेधती , शब्दों की तलवार .

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुंडलियाँ

अंतर्मन को बेधती , शब्दों की तलवार .

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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

गाँधीगिरी

गाँधी जी
जिन्हे भूल चुके थे लोग
आज उनके विचारों की देश को जरूरत है
सत्य और अहिंसा का विचार
कितना खूबसूरत

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दीपों का त्यौहार

मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा

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गुरुवार, 8 नवंबर 2012

प्रकृति गान

नवप्रभात की सुंदर छटा मे, विहंगो का कर्णमधुर कलरव.. अलंकृत कर मधुर सुरों को, बनाता नवीन गीत भैरव.... दिवाकर की नव

मै विद्यार्थी हुँ एवं पिछ्ले एक वर्ष से कविताएँ लिख रहा हुँ.. आप सभी से सविनय अनुरोध करता हुँ कि कृपया मेरे काव्य पर कुछ न कुछ प्रतिक्रिया अवश्य व्यक्त किजिए...

नज़ारे

अपना दिल जब ये पूछें की दिलकश क्यों नज़ारे हैं
परायी लगती दुनिया में बह लगते क्यों हमारे हैं

ना उनसे तुम अलग रहना

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कबिता

तुम पास नो हो मेरे मेरी जान निकलती है
तेरा साथ रहे जब तक मेरी सांसें चलती है

दुनियां में कहते हैं , कोई संग आता है न

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महात्मा गाँधी

कल राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी का जन्मदिन है . आज भी उनके विचारो का हमारे जीवन में बहुत मह्त्त्ब है। सवाल ये है की

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मेरे हमसफ़र

मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र .तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर मुझे सिर्फ तेरी तलाश है

मेरे साथ तेरा

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बुधवार, 7 नवंबर 2012

गांधीवाद !!!

गांधीवाद !!!
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गांधी जी के तीन वचन अनमोल;
बुरा न सुन,बुरा न देख,बुरा न बोल,
शायद इन्सानियत हो गई

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"त्रिशूल"......(द्वितीय चरण)..!!!

"त्रिशूल"......(द्वितीय चरण)..!!!

क़ुदरत का बड़ा अज़ुबा,हर इन्सान को जन्मती औरत
इन्सान का बड़ा अज़ुबा,इन्सानों के हाथ मरती

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प्रेम चिरन्तन एहसास

प्रेम चिरन्तन एहसास

"प्रेम" का
लब्ज़ ,सदियों से सुनते आये;
हर एक ने समझ लिया,
पर कोई नया अर्थ;
या नया प्रति-शब्द

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माँ

माँ

सपनो मे , खयालो मे,
किस्सों मे, यादो मे,
देखा तुमने खुद को मुझ मे,
अपने हर उन लम्हों मे,
उन एक एक मुश्किल पलो

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"धन्यवाद का सन्देश "

"धन्यवाद का सन्देश "
मैं अनजान कैसे तेरी राह मे आया था ,
और न जाने कब तेरे दिल में समाया था,
मेरी राह तो बिराने की तरफ़

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"त्रिशूल"......(प्रथम चरण )

श्री गुलजार जी की लिखी 'त्रिधारा' ये रचनाए पढ़ी। इस प्रकार की रचना मे तीन चरण होते है। पहले दो चरण एक साथ औए तीसरे चरण

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"त्रिशूल"......(प्रथम चरण )

श्री गुलजार जी की लिखी 'त्रिधारा' ये रचनाए पढ़ी। इस प्रकार की रचना मे तीन चरण होते है। पहले दो चरण एक साथ औए तीसरे चरण

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"धन्यवाद का सन्देश "
मैं अनजान कैसे तेरी राह मे आया था ,
और न जाने कब तेरे दिल में समाया था,
मेरी राह तो बिराने की तरफ़

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तुम्हारा जिंदा रहना जरूरी है गुल मकई !

"अपने हक़ और हकूक की हिफाजत में -
क्यों भूल गयी मजहबी कायदे-कानून ?
कच्ची उम्र मे-
खिलौनों और गुड़ियों की ज़िद करने

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तुम्हारा जिंदा रहना जरूरी है गुल मकई !

"अपने हक़ और हकूक की हिफाजत में -
क्यों भूल गयी मजहबी कायदे-कानून ?
कच्ची उम्र मे-
खिलौनों और गुड़ियों की ज़िद करने

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वसंत रंग छायो है / शिवदीन राम जोशी

आनन्द की लहर-लहर लहराई सजीली सखी,
वृन्दावन गोपाल लाल मेरो मन लुभायो है |
श्यामा के संग-संग

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वसंत रंग छायो है / शिवदीन राम जोशी

आनन्द की लहर-लहर लहराई सजीली सखी,
वृन्दावन गोपाल लाल मेरो मन लुभायो है |
श्यामा के संग-संग

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यमुना जल भरन गई / शिवदीन राम जोशी

यमुना जल भरन गई अहीरों की छोरी संग,
राधिका रसीली फँसी कृष्ण श्याम कारे से |
ता दिन से एको पल बिसरत

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यमुना जल भरन गई / शिवदीन राम जोशी

यमुना जल भरन गई अहीरों की छोरी संग,
राधिका रसीली फँसी कृष्ण श्याम कारे से |
ता दिन से एको पल बिसरत

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न भूल सके इतने / शिवदीन राम जोशी

मो मन माहीं बसे मन मोहन,और बसी मन राधिका रानी,
नन्द यशोमती कौन बिसारत, गुवालन की छबि नाहीं भुलानी |
बृज की बृजबाल वे

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यौवन की दहलीज

यौवन की दहलीज
यौवन की दहलीज पे, यूं चहकने लगे।
चांदनी रात में रातरानी, महकने लगे।।
नजरों ने किया, नजरों

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मुक्तक

दिल में जो तमन्ना है जुबां से हम न कह पाते
नजरो से हम कहतें हैं अपने दिल की सब बातें
मुश्किल अपनी ये है की समझ बह

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मुक्तक

रूठ कर ना जा मेरा दिल तोड़ने बाले
पराया जानकार हमको अकेला छोड़ने बाले
मासूम सी ख़ता पर नाराज हो गए
इजहार राज ऐ दिल

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मुक्तक (जानेमन )

बो जानेमन जो मेरे है बो मेरे मन ओ ना जाने
अदाओं की तो उनके हम हो चुके है दीवाने
बो जानेमन जो मेरे है बह दिल में यूँ

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मुक्तक

इनायत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता
खुशियाँ रहती दामन में और जीवन में अमन होता
मर्जी बिन खुदा यारों तो जर्रा भी

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प्यार के गीत

प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार

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गीत

खुशबुओं की बस्ती में रहता प्यार मेरा है
आज प्यारे प्यारे सपनो ने आकर के मुझको घेरा है
उनकी सूरत का आँखों में हर

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नज़राना

अपना दिल कभी था जो, हुआ है आज बेगाना
आकर के यूँ चुपके से, मेरे दिल में जगह पाना
दुनियां में तो अक्सर ही ,सभल कर लोग

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दुनिया

ये पैसो की दुनिया ये काँटों की दुनिया
यारों ये दुनिया जालिम बहुत है
अरमानो की माला मैनें जब भी पिरोई
हमको ये

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मुक्तक

मयखाने की चौखट को कभी मदिर न समझना तुम
मयखाने जाकर पीने की मेरी आदत नहीं थी
चाहत से जो देखा मेरी ओर उन्होंने
आँखों

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मुक्तक(किस्मत)

रोता नहीं है कोई भी किसी और के लिए
सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते हैं
प्यार की दौलत को कभी छोटा न समझना

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मुक्तक

रहमत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता
खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता
मर्जी बिन खुदा यारो तो जर्रा भी

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मुक्तक

आप को देखे हुए कई मास हो गया
पाया न हाल आपका दिल उदास हो गया
क़दमों ने साथ छोड़ा ,आँखें बंद हो चुकीं
अब हाथ भी बेजान

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मुक्तक

ये जान जान कर जान गया ,ये जान तो मेरी जान नहीं
जिस जान के खातिर जान है ये, इसमें उस जैसी शान नहीं
जब जान बो मेरी चलती

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दुर्दिन

संग मेरे घूमते थे, संग मेरे खाते
करते थे, मुझसे बे बड़ी बड़ी बातें
दुर्दिन में मेरे बो ,आये नहीं काम जी
अब तो शरण में

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प्रार्थना

हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी न दे
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी न दे

तन दिया है मन दिया है और जीवन दे

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भ्रष्टाचार

बीसबीं सदी के पुर्बाध में

भूतकाल के शुष्क धरातल पर

जब हमारें पुर्बजों ने

भबिष्य की आबश्यक्तायों की पूर्ति के

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आज का यथार्थ

अपने अनुभबों,एहसासों ,बिचारों को

यथार्थ रूप में

अभिब्यक्त करने के लिए

जब जब मैनें लेखनी का कागज से स्पर्श

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भूकंप क्यों आते हैं

कुछ रोज पूर्ब जब आया भूकंप

अचानक प्राकतिक दुर्घटना घटी

उसी पल जमीन फटी

सजे सम्भरें सुसज्जित गृह खँडहर में बदल

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अर्थ का अनर्थ

एक रोज हम यूँ ही बृन्दावन गये

भगबान कृष्ण हमें बहां मिल गये

भगवान बोले ,बेटा मदन क्या हाल है ?

हमने कहा दुआ है सब

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गाँधी और अहिंसा

कल शाम जब हम घूमने जा रह रहे थे
देखा सामने से गांधीजी आ रहे थे
नमस्कार लेकर बोले, आखिर बात क्या है?
पाहिले थी सुबह

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दीवाली

बह हमसे बोले हसंकर कि आज है दीवाली
उदास क्यों है दीखता क्यों बजा रहा नहीं ताली

मैं कैसें उनसे बोलूं कि जेब मेरी

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मेरा भारत महान

जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान
गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मन बढ़ाती हैं

सीता सावित्री सी देवी

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आई शुभ वसंत / शिवदीन राम जोशी

आनन्द-उमंग रंग, भक्ति-रंग रंग रंगी,
एहो ! अनुराग सत्य उर में जगावनी |
ज्ञान वैराग्य वृक्ष लता पता चारों फल,
प्रेम

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आई शुभ वसंत / शिवदीन राम जोशी

आनन्द-उमंग रंग, भक्ति-रंग रंग रंगी,
एहो ! अनुराग सत्य उर में जगावनी |
ज्ञान वैराग्य वृक्ष लता पता चारों फल,
प्रेम

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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

ग़ज़ल(क़यामत)

दुनिया बालों की हम पर जब से इनायत हो गयी
उस रोज से अपनी जख्म खाने की आदत हो गयी

शोहरत की बुलंदी में ,न खुद से हम हुए

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ग़ज़ल(हकीक़त )

चेहरे की हकीक़त को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान

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ग़ज़ल(इशारे )

किसी के दिल में चुपके से रह लेना तो जायज है
मगर आने से पहले कुछ इशारे भी किये होते

नज़रों से मिली नजरे तो

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ग़ज़ल (प्यार)

गर कोई हमसे कहे की रूप कैसा है खुदा का
हम यकीकन ये कहेंगे जिस तरह से यार है....

संग गुजरे कुछ लम्हों की हो नहीं सकती

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ग़ज़ल (दिलासा)

सजाए मोत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे
ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधर दिलाने की बात करते हैं

हुए दुनिया से

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ग़ज़ल (ख्बाब )

ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत
ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं

कामचोरी धूर्तता चमचागिरी

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ग़ज़ल(जिंदगी की शाम )

आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ
माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे ये दोनों

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ग़ज़ल(लम्हा)

हर लम्हा तन्हाई का एहसास मुझकों होता है
जबकि दोस्तों के बीच अपनी गुज़री जिंदगानी है

क्यों अपने जिस्म में केवल

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ग़ज़ल(तमन्ना)

कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है
न जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है...

लाचारी का दामन आज हमने थाम

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ग़ज़ल(शिकायत)

हर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है
वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है सिलसिला

चार पल की जिंदगी में ,मिल गयी सदियों

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ग़ज़ल (अनजान )

जानकर अपना तुम्हे हम हो गए अनजान खुद से
दर्द है क्यों अब तलक अपना हमें माना नहीं नहीं है

अब सुबह से शाम तक बस नाम

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ग़ज़ल (आज के हालत)

आज के हालत में किस किस से हम शिकवा करें .
हो रही अपनों से क्यों आज यारों जंग है ..

खून भी पानी की माफिक बिक रहा बाजार

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ग़ज़ल(बिरोधाभास)

नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके है आज जो
नापने को कह रहे , हमसे बह दूरिया आकाश की ..

इस कदर अनजान है ,हम आज अपने हाल

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मौसम

जाना जिनको कल अपना आज हुए बो पराये है
दुनिया के सारे गम आज मेरे पास आए है

न पीने का है आज मौसम ,न काली सी घटाए है
आज

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ग़ज़ल(किस्मत)

जाना जिनको कल अपना आज हुए बो पराये है
दुनिया के सारे गम आज मेरे पास आए है

न पीने का है आज मौसम ,न काली सी घटाए है
आज

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ग़ज़ल(इलाज)

हुआ इलाज भी मुश्किल ,नहीं मिलती दबा असली
दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ

मुझे फुर्सत नहीं यारों कि माथा

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ग़ज़ल(जंजीर)

आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे
बो सेक्स की रंगीनियों की पैर में जंजीर है

सुन चुके है बहुत किस्से वीरता पुरुषार्थ

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ग़ज़ल(बक्त की रफ़्तार)

बक्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं
कल तलक था जो सुहाना कल बही विकराल हो ...

इस तरह से आज पग में फूल से कांटे चुभे

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ग़ज़ल

जालिम लगी दुनिया हमें हर शक्श बेगाना लगा
हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से

नफरत से की गयी चोट से हर जखम हमने

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भावहीन

दुख की तरकश से निकला
ऊफ्‌ का एक उच्छ्वास !
मन की गहनता,
बेबसी के स्याह लबादे पहन,
अंधकार में बदल जाती है ।
चारों

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ग़ज़ल (गजब)

गजब दुनिया बनाई है गजब हैं लोग दुनिया के
मुलायम मलमली बिस्तर में अक्सर बो नहीं सोते

यहाँ हर रोज सपने क्यों, दम

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ग़ज़ल(चार पल की जिंदगी)

सेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर में
स्वार्थ की तालीम अब मिलने लगी स्कूल से

आगमन नए दौर का आप जिस को कह रहे
आजकल

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भावहीन

दुख की तरकश से निकला
ऊफ्‌ का एक उच्छ्वास !
मन की गहनता,
बेबसी के स्याह लबादे पहन,
अंधकार में बदल जाती है ।
चारों

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ग़ज़ल (दुनिया)

दुनिया में जिधर देखो हजारो रास्ते दीखते
मंजिल जिनसे मिल जाए बो रास्ते नहीं मिलते

किस को गैर कहदे हम और किसको

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ग़ज़ल( ऐतबार )

जालिम लगी दुनिया हमें हर शक्श बेगाना लगा
हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से

नफरत से की गयी चोट से हर जखम हमने

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ग़ज़ल( खुदा का रूप )

गर कोई हमसे कहे की रूप कैसा है खुदा का
हम यकीकन ये कहेंगे जिस तरह से यार है

संग गुजरे कुछ लम्हों की हो नहीं सकती है

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ग़ज़ल (तोहफा)

सजाए मोत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे
ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधर दिलाने की बात करते है

हुए दुनिया से बेगाने

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ग़ज़ल(सच्चा झूठा )

क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है
हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में

एक जमी बक्शी थी कुदरत

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ग़ज़ल (याराना)

कभी गर्दिशो से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना

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ग़ज़ल (अपनी जिंदगी)

अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में
ख्बाबों में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं

भुला पायेंगें कैसे

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सोमवार, 5 नवंबर 2012

तुम्हारी याद

जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है

कहूं कैसे मैं ये तुमसे

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ग़ज़ल

नजरें मिला के नजरें फिराना ,ये हमने अब तक सीखा नहीं हैं
बादें भुलाकर कसमें मिटाकर ,बो कहतें है हमसे मुहब्बत यही

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ग़ज़ल( नकाब )

जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं
अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं

बह हर बात को मेरी दबाने लगते हैं
जब

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ग़ज़ल (चेहरे की हकीकत)

चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है..

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान

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ग़ज़ल(दर्द)

वक़्त की रफ़्तार ने क्या गुल खिलाया आजकल
दर्द हमसे हमसफ़र बनकर के मिला करते हैं...

इश्क का तो दर्द से रिश्ता ही

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प्रभु

उत्थान पतन मेरे भगवन है आज तुम्हारे हाथों में
प्रभु जीत तुम्हारें हाथों में प्रभु हार तुम्हारें हाथों में

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गीत

गीत

आँखों में जो सपने थे सपनो में जो सूरत थी
नजरें जब मिली उनसे बिलकुल बैसी सूरत थी

जब भी गम मिला मुझको या

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गीत

ये दोष मेरे भाग्य का या वक़्त की साजिश कहें
हम प्यार जिनसे कर रहे बे दूर हमसे रह रहे

देखा तो होती है सुबह , ना पा

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नज्म

नज्म

प्यार से प्यार करना गुनाह है अगर
तो जुर्म ऐ मुहब्बत को बार बार हमने किया
इबादत का हक़ है मुयस्सर सभी को
सो

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प्यार का पता दे

मेरे हमनसी मेरे दिलबर अपने प्यार का पता दे
तू दूर क्यों है हमसे इतना जरा पता दे
तेरे प्यार के ही खातिर ,दुनियां

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मुक्तक

अपना हाल ऐसा है की हम जाने और दिल जाने
पल भर भी बो ओझल हो तो देता दिल हमें ताने
रह करके सदा उनका हमें जीना हमें मरना

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पेड़

पेड़

 

पेड़ सिर्फ पेड़

नहीं होते वे होते है

घर के पते की तरह

 

उन दिनों

जब गाँव में

नहीं हुआ करते थे

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पेड़

पेड़

 

पेड़ सिर्फ पेड़

नहीं होते वे होते है

घर के पते की तरह

 

उन दिनों

जब गाँव में

नहीं हुआ करते थे

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पेड़ सिर्फ पेड़ नहीं होते वे होते है

पेड़

 

पेड़ सिर्फ पेड़

नहीं होते वे होते है

घर के पते की तरह

 

उन दिनों

जब गाँव में

नहीं हुआ करते थे

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पेड़ सिर्फ पेड़ नहीं होते वे होते है

पेड़

 

पेड़ सिर्फ पेड़

नहीं होते वे होते है

घर के पते की तरह

 

उन दिनों

जब गाँव में

नहीं हुआ करते थे

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पेड़ सिर्फ पेड़ नहीं होते वे होते है

पेड़

 

पेड़ सिर्फ पेड़

नहीं होते वे होते है

घर के पते की तरह

 

उन दिनों

जब गाँव में

नहीं हुआ करते थे

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ग़ज़ल(इनायत)

दुनिया बालों की हम पर जब से इनायत हो गयी
उस रोज से अपनी जख्म खाने की आदत हो गयी...

शोहरत की बुलंदी में ,न खुद से हम हुए

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ग़ज़ल( दिल की बातें)

जिनका प्यार पाने में हमको ज़माने लगे
बह अब नजरें मिलके मुस्कराने लगें

राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
बातें दिल

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दर्श

खुदा का नाम लेने में तो हमसे देर हो जाती.
खुदा के नाम से पहले हम उनका नाम लेते हैं..

पाया है सदा उनको खुदा के रूप में

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ग़ज़ल(चर्चा )

लोग कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती है
हम नजरें भी मिलाते हैं तो चर्चा हो जाती है.

दिल पर क्या गुज़रती है जब बे

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ग़ज़ल(दर्द )

दर्द को अपने से कभी रुखसत न कीजियें
दर्द का सहारा तो बस जीने के लिए हैं ...

पी करके मर्जे इश्क में बहका न कीजियें

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ग़ज़ल(अपनी जिंदगी )

अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में
ख्बाबों में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं

भुला पायेंगें कैसे

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ग़ज़ल(रंगत)

रंगत इश्क की क्या है ,ये बो ही जान सकता है
दिल से दिल मिलाने की ,जुर्रत जो किया होगा

तन्हाई में जीना तो उसका मौत से

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अस्थिदान

वृत्रासुर के
अत्याचार से त्रस्त हो,
देवता लोग पहुँचे
ब्रह्मा के पास।
और गुहार की
तथा आर्त्तनाद किया
कि अब

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ग़ज़ल(याद)

तुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमको
तुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा

तुमसे दूर रह करके तुम्हारी

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ग़ज़ल (ऐतवार)

बोलेंगे जो भी हमसे बो ,हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें

बो मेरे पास आयेंगे

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ग़ज़ल(नजरिया)

वक़्त की साजिश समझ कर, सब्र करना सीखियें
दर्द से ग़मगीन वक़्त यू ही गुजर जाता है

जीने का नजरिया तो, मालूम है उसी को

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ग़ज़ल (बात होती है)

गैरों से बात अक्सर बह, हंसकर किया करते है
हमसे बात जब होती इशारों से बात होती है

यादों की हंसी गलियों में, पाया जब

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ग़ज़ल(तन्हाई )

सजा क्या खूब मिलती है , किसी से दिल लगाने की
तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की

हर पल याद रहती है ,

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ग़ज़ल(ख्बाब)

ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत
ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए है

कामचोरी , धूर्तता,

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मेरे हमसफ़र

मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र .तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर मुझे सिर्फ तेरी तलाश है

मेरे साथ तेरा

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ग़ज़ल( बीरान)

कल तलक लगता था हमको शहर ये जाना हुआ
इक शक्श अब दीखता नहीं तो शहर ये बीरान है

बीती उम्र कुछ इस तरह की खुद से हम न मिल

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रविवार, 4 नवंबर 2012

Zj

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ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे

ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे
फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे

इधर किया करम किसी पे और इधर जता

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ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे

ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे
फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे

इधर किया करम किसी पे और इधर जता

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ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे

ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे
फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे

इधर किया करम किसी पे और इधर जता

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शनिवार, 3 नवंबर 2012

कुछ लफ़्ज़ों को महफ़ूज़ रखा

کچھ لفظوں کو محفوظ رکھا
تم یاد آے تو غزل که دی

कुछ लफ़्ज़ों को महफ़ूज़ रखा
तुम याद आये तो ग़ज़ल कह दी

kuch lafzo'n ko mahfooz rakha

tum yaad aaye to ghazal keh di

 

- Sanjeev

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sher

کچھ لفظوں کو محفوظ رکھا
تم یاد آے تو غزل که دی

कुछ लफ़्ज़ों को.....महफ़ूज़ रखा
तुम याद आये तो ग़ज़ल कह दी

kuch lafzo'n ko mahfooz rakha

tum yaad aaye to ghazal keh di

 

-

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राजनीति

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तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके

तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके

एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ

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gajal

तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके

एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ

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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

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ग़ज़ल(खामोश)

हम आज तक खामोश है और बो भी कुछ कहते नहीं
दर्द के नगमो में हक़ बस मेरा नजर आता है

देकर दुयाए आज फिर हम पर सितम बो

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ग़ज़ल

अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल

ख्बाबो और यादों की गली में

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ये हमसे तुम जरा पूछो

देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया
जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया

फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको

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मोह माया

मोह-माया

मोकौं दिलासा दीहो काहे

मोकौं न कोई आस हय

काहे दिखाये मोकौं रे

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मोह माया

मोह-माया

मोकौं दिलासा दीहो काहे

मोकौं न कोई आस हय

काहे दिखाये मोकौं रे

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प्यार के गीत

प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार

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ग़ज़ल(याराना)

कभी गर्दिशो से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना

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दहशत

अपना भारत जो दुनिया का सुंदर चमन
सारी दुनिया से प्यारा और न्यारा बतन
ये मंदिर भी अपना और मस्जिद भी अपनी
इनसे आशा

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ग़ज़ल(बात करते हैं )

सजाए मोत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे
ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधर दिलाने की बात करते हैं

हुए दुनिया से

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ग़ज़ल (रूप )

गर कोई हमसे कहे की रूप कैसा है खुदा का
हम यकीकन ये कहेंगे जिस तरह से यार है....

संग गुजरे कुछ लम्हों की हो नहीं सकती

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ग़ज़ल(नकाब)

जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं

अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं










बह हर बात को मेरी

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हैरान

सोचकर हैरान है हम , क्या हमें अब हो गया है
चैन अब दिल को नहीं है ,नींद भी आती नहीं है

बादियों में भी गए हम ,शायद आ जाये

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ग़ज़ल (शिकायत)

वक़्त की साजिश नहीं तो और किया बोले इसे
पलकों में सजे सपने ,जब गिरकर चूर हो जाये

अक्सर रोशनी में खोटे सिक्के भी

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ग़ज़ल (नए दौर का आगमन )

आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे
बो सेक्स की रंगीनियों की पैर में जंजीर है

सुन चुके है बहुत किस्से वीरता पुरुषार्थ

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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

दिया

दिया जो टिमटिमाता है
दिया जो अंधेरे मे प्रकाश दिखाता है
दिया जो देने का भाव है
उसे पाकर मैंने सब कुछ पा

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दीपावली

दीवाली की रात
घर का दरवाजा खोलकर
सो गए इस विश्वास के साथ
कि लक्ष्मी जी अवश्य आएगीं
हम पर अपनी कृपा दृष्टि

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दीपावली

दीवाली की रात
घर का दरवाजा खोलकर
सो गए इस विश्वास के साथ
कि लक्ष्मी जी अवश्य आएगीं
हम पर अपनी कृपा दृष्टि

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दीपावली

दीवाली की रात
घर का दरवाजा खोलकर
सो गए इस विश्वास के साथ
कि लक्ष्मी जी अवश्य आएगीं
हम पर अपनी कृपा दृष्टि

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कैसे गज़ल होती है

प्यार के जख्म से वेवाफाई की हर अदा गज़ल होती है ;
जख्म वह नासूर से टिसते तो दर्द की गज़ल होती है |

अनकहे जज्ब़ात के

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ग़ज़ल(बहुत मुश्किल)

अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर

बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल



ख्बाबो और यादों की गली

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रहमत

रहमत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता..




खुशिया रहती दामन में और जीवन में अमन होता

 




मर्जी बिन खुदा यारो

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हे रब

हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी न दे
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी न दे

तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया

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मुक्तक

अपना हाल ऐसा है की हम जाने और दिल जाने




पल भर भी बो ओझल हो तो देता दिल हमें ताने





रह

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कबिता (अर्पण)

अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ

पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना

रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में

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करवाचौथ

कल करवाचौथ के दिन भारतबर्ष में सुहागिनें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए चाँद दिखने तक निर्जला उपबास रखती है . पति

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कबिता (अर्पण)

अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ

पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना

रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में

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मुक्तक

अपना हाल ऐसा है की हम जाने और दिल जाने




पल भर भी बो ओझल हो तो देता दिल हमें ताने





रह

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