गुरुवार, 3 मार्च 2016

गजल

क्या करू सिकवा खुदा से वह भी तेरा चाहनेवाला निकला
फूल सी कोमल बदन में पत्थर दिल बनानेवाला निकला

प्यार की क्या मिसाल दें हम दो बदन और एक जान थें
जिसे चाहा जिंदगी से बढ़कर वही हमें मिटानेवाला निकला

उनकी एक हसी के लिए किया कुर्वान हर ख़ुशी अपनी
जिसे समझा तकदीर अपनी वही शख्स रुलानेवाला निकला

हर डगर पे बिछाई फूल हमने न हो कोई तकलीफ उनको
जिगर में होती है दर्द बहुत जानकर वो सतानेवाला निकला
१८-०७-२०१५

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