बुधवार, 2 मार्च 2016

मेरे आँगन सूरज उगा

मेरे आँगन –

आज सुबह सूरज उगा
मेरा आँगन रौशन हुआ
हर कोने का अँधेरा मिटा,

बड़ी पुंज रौशनी की
मेरे अंदर भी समां गयी
मानो लम्बी नींद से जगा गयी,

जहाँ था चिंताओं का बसेरा
उम्मीदों ने डाला है डेरा
रौशनी ने हर ओर से घेरा,

मन पे हुआ असर इस कदर
चाहे डूब भी जाये पहर
उजाला रहेगा अंदर ठहरकर,

ईश्वर ने जीवन रची ही ऐसे
सुबह जाये तो रात आये
और रात जाये तो सुबह आये,

सूरज के संग हम जियेंगे दिन
उम्मीद के उजाले संग बिताएंगे रात
ज़िन्दगी जीयूँगी हर साँस के साथ,

– सूरज नहीं डूबेगा आज।

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