अब तो दुआ के लिए हाथ भी नहीं उठते
ना जाने कैसा ये गिला हमें अपने खुदा से है
फ़ैलाते नहीं झोली नहीं माँगते कोई मन्नत
वजह नहीं कोई ,पर रास्ते अब अपने जुदा से है
निशा
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