जब हित का धागा सामने आता है
आदमी कुछ भी नही कर पाता है
सिवाय इसके की वो इसे बाधं ले
फिर चाहे कितनी ही मोहब्बतें
क्यों न बिखर जायें
फिर चाहे कितने ही रिश्ते
क्यों न टूट जायें
हित का यह बन्धन अटूट होता है
सब कुछ टूट जाये यह नही टूटता
Read Complete Poem/Kavya Here हित का अटूट बंधन
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