hindi sahitya
बुधवार, 29 अगस्त 2012
यह निशानी किसकी है ?
आसमाँ नीले गुब्बारे की तरह उड़ गया
सूरज पतंग की तरह ताड़ पर आ लटका
ज़मीन तांबे की हो गयी
सारा शहर मुर्दा हो गया
कहते
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