hindi sahitya
शनिवार, 25 अगस्त 2012
असमय ही बन पड़ती है कविताएँ ..
कभी -कभी
असमय ही बन पड़ती हैं कविताएँ
शब्दों के बाढ़ उमड़ पड़ते हैं जेहन में
काफी तीव्र हो जाती है
सोचने की
पूरा पढ़े ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें