hindi sahitya
बुधवार, 30 जनवरी 2013
31-चाँद जैसे चेहरे पे तिल जो काला काला है
ग़ज़ल
चाँद जैसे चेहरे पे तिल जो काला काला है
मेरे घर के आंगन में सुरमई उजाला है
जब भी पाव बहके हैं
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