hindi sahitya
सोमवार, 21 जनवरी 2013
तबाही
तबाही
तबाह होने से पहले भीतर की चुभन लगी सिमटने
गिडगिडाती आत्मा ....
परखच्चो सा ढांचा चाहने लगा जिन्दगी
मौत सही पर
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