hindi sahitya
शनिवार, 19 जनवरी 2013
खुला आसमाँ
सोचता हूँ उड़ता चलूँ
इस नीले आसमाँ पर
चहचहाते चिडि़यों से पंख लगाकर
नीली छतरी सी ओढ़ कर
व कटी पतंग की डोर
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