hindi sahitya
मंगलवार, 29 जनवरी 2013
बाबुल
मेरे आँशु सुख गई सब !
रो रो के अब
आकाश हि बरसे !
ठुमक ठुमक नाचती थी आगन मे !
दुल्हन बनके
निकली अब घर से !
बेटी तो है बस
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