hindi sahitya
गुरुवार, 16 अगस्त 2012
यादें
दिन सुहाना था, शाम हसीं है,
फिर भी कुछ कमी सी महसूस होती है,
कोई गर पास है तो फिर क्यों
नयन भरे प्यार
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