hindi sahitya
गुरुवार, 20 सितंबर 2012
निष्ठुर हवायें
चलना है दूर बहुत, जख्मीं से पाँव हैं,
आस नही दूर तलक बेगाना गाँव है।
धूप से भरे हैं मग, चल रहें अकेले हम,
पत्थरों
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