hindi sahitya
रविवार, 30 सितंबर 2012
बयां हुश्न का कर..गजल लिखते हैं....
बयां हुश्न का कर..गजल लिखते हैं....
गहरे जुल्फों में उलझ गये,माना था उन्हें सनम ;
नसीब तो देखो, सोचा था, रहेंगे इनके
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