hindi sahitya
सोमवार, 24 सितंबर 2012
आज दिल फिर रो रहा है ....
आज दिल फिर रो रहा है
जैसे कोई अपनों को खो रहा है
उजड़ गई हैं बस्तियां जिनकी
वो आज तिनके फिर ढो रहा है
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