hindi sahitya
सोमवार, 17 सितंबर 2012
तेरे शहर मे आए है....
ये किसने नफरतो के आग लगाए है ,
हर तरफ बस तारीकीओ के साए है ,
एक तेरा ही मकान महफुज है यहा ,
ये सोच कर तेरे शहर मे आए है
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