hindi sahitya
शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
तेरा दीद-ए-नज़र भी खूब तमाशाई है........
पैगाम मुहब्बत के वो ले कर आई है ,
एक खुशबु सी इन फिजाओं में छाई है ,
देखता है तू चमन में फूल भी कांटे भी ,
तेरा
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