hindi sahitya
शनिवार, 15 सितंबर 2012
तंत्र-मंत्र-यंत्र
सब मनाते हैं गणतंत्र
कहां बचा है जनतंत्र
कहां ओझल है लोकतंत्र
यह तो लगता है भीङतंत्र
फैला भ्रष्टाचारी
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