hindi sahitya
सोमवार, 17 सितंबर 2012
देखा है
मैने रात को रन्ग बद्लते देखा है,
अन्धेरे के बाद सवेरा होते देखा है,
तिन्के बीना करते थे कभी धूप मे ,
आज खुद को बर्गद
पूरा पढ़े ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें