hindi sahitya
रविवार, 16 सितंबर 2012
हर आईने में तुझको अक्सर संवरते देखा....
हर एक ख्वाब को टूट कर बिखरते देखा ,
हमने ख्वाहिशों को तिल तिल कर मरते देखा ,
इतनी हिम्मत तो नहीं थी के रो सकूँ मैं
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