hindi sahitya
गुरुवार, 10 जनवरी 2013
रुठते वो रहे, हम मनाते रहे
रूठते वो रहे, हम मनाते रहे।
और हर गम गले से लगाते रहे॥
वो शितम पर शितम हम पे ढाये मगर।
हर शितम सह के हम मुस्कराते
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