hindi sahitya
सोमवार, 14 जनवरी 2013
भटकन...
कल रात, कोई आह सी जल रही थी।
जैसे, कोई शम्मा सी पिघल रही थी।
कई मरासिम से जैसे छूट रहे थे।
कुछ अपने, अपनों से रूठ
Shwet
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