hindi sahitya
शनिवार, 28 जुलाई 2012
तेरी मंज़िल के पार!
चाहे -अनचाहे
इस दुनिया मे आने के बाद
अब
धधक रहा है ज्वालामुखी
'उनकी' अपेक्षाओं का
अरमानों का
और मेरे
अनगिने सपनों
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