hindi sahitya
शनिवार, 28 जुलाई 2012
लफ्ज.....
मैं ने मुफ्त का समझ लुटाया बेसुमार
जिस कल्पना के लिये एक लफ्ज काफी था
उसे सो-सो लफ्ज दिये बेकार
परायों की दुनिया
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