hindi sahitya
रविवार, 19 अगस्त 2012
तुम्हारा चहेरा
तुम्हारा चहेरा
कभी कभी मन की आँखे खोल
देखता हूँ तुम्हारा जब चहेरा
तढपाते बीते जो पल अनमोल
दिखता है सब
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