hindi sahitya
गुरुवार, 27 दिसंबर 2012
जीवन इक सपना है -माहिया 1-16
डॉ हरदीप कौर सन्धु
1.
भावों का मेला है
इस जग- जंगल में
मन निपट अकेला है ।
2.
ख़त माँ का आया है
मुझको पंख
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