शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

ग़ज़ल (मेरे मालिक मेरे मौला )

मेरे मालिक मेरे मौला


मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है
किसी के पास सब कुछ है मगर बह खा नहीं पाये

तेरी

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