hindi sahitya
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012
सब है अपने
छाया घना कोहरा है,
आँखों के आगे अँधेरा है,
सपनो को तोड़ते मड़ोड़ते,
चलते कई राक्षस ...
करो सूरज की चाहत,
देखो
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