hindi sahitya
गुरुवार, 20 दिसंबर 2012
निर्मल निर्लेप नीला आकाश ...
निर्मल निर्लेप नीला आकाश ...
देता है वो विस्तार .....
कि तरंगित हो जाती है कल्पना ...
नाद सी.......हो साकार ....
अकस्मात
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