hindi sahitya
रविवार, 23 दिसंबर 2012
तुम पराई "हो-ली"
तुम पराई "हो-ली"
प्रिये ! तुम तो पराई "हो-ली";
छिपुं बिस्मृती के अंधकार मे,
उसके पहले हृदय पलट पे,
मेरे
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