hindi sahitya
रविवार, 24 जून 2012
नींद
समय जैसा वह कुछ भी नहीं था जिसे बीतना पड़ता
जिन शरीरों के भीतर से दोपहर को गुज़रना पड़ा
कदाचित् वे भी हमारे न
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