hindi sahitya
शुक्रवार, 22 जून 2012
खिड़की में कबूतर
बैठा कबूतर एक खिड़की में मेरी
लगता जैसे चबा डालता
मेरे शब्द
जब-जब उगता दिन एक ध्वनिविहीन, रंगहीन, गन्धहीन
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