hindi sahitya
शुक्रवार, 29 जून 2012
शेर ७- असर लखनवी
(1)
जबीने1-सिज्दा में कौनेन2 की वुसअत3 समा जाए,
अगर आजाद हो कैदे - खुदी4 से बंदगी5 अपनी।
(2)
जिन खयालात से हो जाती है
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