hindi sahitya
मंगलवार, 10 जुलाई 2012
अंग-अंग डाली हो जैसे
आ बैठा जानु पर मेरे
कदम्बतरु हो जैसे
अंग-अंग डाली हो जैसे
तू मेरे हृदय में समाया
वंशी लेकर ऐसे
छेड़ी ऐसी तान
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