hindi sahitya
गुरुवार, 19 जुलाई 2012
चोट अब भी लगती हैं, पर दर्द और होता नहीं . .
आंसू अब बहते नहीं,दिल अब रोता नहीं
गम के सागर मैं,मन अब बहता नहीं
हर गम एक सा ,नया है कुछ भी लगता नहीं
टूटे ड़ाल से
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