hindi sahitya
शनिवार, 14 जुलाई 2012
लाचार परिंदों के पर हैं
लाचार परिंदों के पर हैं
धमाके से उनको भी डर है
तुम्हें मालूम हो कि न हो
आँगन में उनके भी घर हैं
गोलियां चलती हों
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