सोमवार, 2 जुलाई 2012

मैं दीवाना सही पर बात सुन ऐ हमनशीं मेरी / फ़राज़

मैं दीवाना सही पर बात सुन ऐ हमनशीं मेरी
कि सबसे हाले-दिल कहता फिरूँ आदत नहीं मेरी

तअम्मुल क़त्ल में तुझको मुझे

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें