hindi sahitya
सोमवार, 13 अगस्त 2012
कविताएँ
कामना
कितनी गहरी रही ये खाई
मन काँपता डर से
अतल गहराइयाँ मन की
झाँकने का साहस कहाँ
दूर विजन एकांत में
सरिता कूल
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