hindi sahitya
गुरुवार, 15 नवंबर 2012
अलसाई चाँदनी(सेदोका 16-31)
16
झील का तट
बिखरी हो ज्यों लट
मचलती उर्मियाँ
पुरवा बही
बेसुध हो सो गई
अलसाई चाँदनी
17
तोड़ती मौन
घास में
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