hindi sahitya
बुधवार, 21 नवंबर 2012
रात ढलती रही चाँद जलता रहा....
हया का रंग हुस्न पे चढ़ता रहा ,
फासला दरमियाँ और बढ़ता रहा ,
उनके चेहरे से नज़रें न हट सकीं ,
रात ढलती रही चाँद जलता रहा
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