hindi sahitya
गुरुवार, 29 नवंबर 2012
यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, ऐसे ही !!
यों ही ..कुछ ...बात या बेबात, ऐसे ही !!
शाम हुई,दीये जले,तारे भी धीरे धीरे
परवाने निकले, रोशनी के दीवाने सारे
हुस्न का
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