hindi sahitya
गुरुवार, 22 नवंबर 2012
आईना भी चेहरा छुपाने लगा है....
कुर्बत से मेरी कतराने लगा है ,
जो पास था दूर जाने लगा है ,
सूरज से कहो अब न निकले ,
अँधेरा हमें रास आने लगा है ,
क्या
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