hindi sahitya
सोमवार, 24 दिसंबर 2012
जज़्बात पर हावी यकीनन धाक हो गयी है
गजल
जज़्बात पर हावी यकीनन धाक हो गयी है
दिल्ली की सल्तनत बड़ी नापाक हो गयी है ।
नुमाइंदे आवाम के बसते हैं जिस
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