hindi sahitya
शुक्रवार, 20 जुलाई 2012
अफसोश
मेरे गम पर आँशु तो बहाव
दुःख के सैलाब मैं डूब जाव
जब टूटकर बिखरा कोई ख्वाब
भटक रहा, मिला ना पराव
अधूरी मंजिल, न कोई
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