hindi sahitya
बुधवार, 11 जुलाई 2012
कुछ न किसी से बोलेंगे / फ़राज़
कुछ न किसी से बोलेंगे
तन्हाई में रो लेंगे
हम बेरहबरों का क्या
साथ किसी के हो लेंगे
ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन
तेरे
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