hindi sahitya
बुधवार, 11 जुलाई 2012
किताबों मे मेरे फ़साने ढूँढते हैं / फ़राज़ यहां जाएं: भ्रमण, खोज
किताबों में मेरे फ़साने ढूँढते हैं,
नादां हैं गुज़रे ज़माने ढूँढते हैं ।
जब वो थे तलाशे-ज़िंदगी भी थी,
अब तो मौत
पूरा पढ़े ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें