hindi sahitya
शुक्रवार, 21 सितंबर 2012
कैसी महफ़िल है....
कैसी महफ़िल है कोई इन्तेज़ाम नहीं है ,
किसी के भी हाथों में जाम नहीं है ,
चन्द लम्हें को सही वो पास बैठे ,
क्या एसा भी
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