hindi sahitya
रविवार, 28 अक्टूबर 2012
संसद भी अपनी बनी फकत,हाट,मॉल बाजार है
सौगन्ध महात्मा गांधी की खाकर ये कलम उठाता हूं
है साठ साल में क्या गुजरी,ये हाल सभी को सुनाता हूं
जुल्मी गोरों
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