hindi sahitya
सोमवार, 29 अक्टूबर 2012
उजाले तो हमने कहीं देखे नहीं....
जागती आँखों से ख्वाब देखा ,
हमने फ़लक पे माहताब देखा ,
उजाले तो हमने कहीं देखे नहीं ,
अन्धेरा यहाँ पे बेहिसाब देखा
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