hindi sahitya
रविवार, 28 अक्टूबर 2012
कविता सागर
जिसने कविता में पाया है
किया उसने जीवन ज़ाया है
देखो तो ओ जग वालो
बहुतेरे भरमाया है ।
कैसा समय ये आया है
मछली ने
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